Software aur programming language
दोस्तों इस पोस्ट मे हम Software aur programming language के बारे मे बताएँगे software kya hai और सॉफ्टवेयर कितने प्रकार के होते हैं ,प्रोग्रामिंग लैंग्वेज किसे कहते हैं|
Software सॉफ्टवेयर
सॉफ्टवेयर हमारे सिस्टम को कार्यशील बनाता है। यह निर्देशों का एक सैट होता है। साफ्टवेयर ही कम्प्यूटर को इन्टलीजेंस देता है तथा यूजर साफ्टवेयर पर ही कार्य करता है। साफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं सिस्टम साफ्टवेयर जोकि हार्डवेयर को हार्डवेयर से या हार्डवेयर को सॉफ्टवेयर से जोड़ने का कार्य करते हैं। जैसे प्रिन्टर का ड्राईवर। । कुछ हार्ईडवेयर ऐसे होते हैं जिसमें साफ्टवेयर इमबडेड होता है वो डिवाइसें फर्मवेयर कहलाती हैं । दूसरा सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन साफ्टवेयर होता है जिस पर यूजर अपना एप्लीकेशन करता है जैसे नोटपैड, एमएस आफिस, गेम आदि। इसके अतिरिक्त कुछ और प्रकार के सॉफ्टवेयर होते हैं जैसे यूटिलिटी सॉफ्टवेयर |
Application Software एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इसका प्रयोग यूजर द्वारा अपने सामान्य कार्य के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए एमएस वर्ड, पेंट ब्रश, गेम, विंडो मीडिया प्लेयर आदि।
System Software सिस्टम सॉफ्टवेयर
सिस्टम साफ्टवेयर सिस्टम को यूजेबल बनाता है यह हार्डवेयर सें हार्डवेयर अथवा हार्डवेयर से सॉफ्टवेयर को जोड़ता हैं। जैसे आपरेटिंग सिस्टम, ड्राइवर, यूटिलिटी इत्यादि
Language of Computers:
कम्यूटर केवल इलेक्ट्रानिक. सिग्नल (बाइनरी लैग्वेज) को ही समझता है।
Current Flowing :ON :1 True
Current Not Flowing: OFF : 0 False
Programming Language प्रोग्रामिंग लैंगवेज
दोस्तों यह एक प्रकार की कम्प्युटर की ही language है इसका प्रयोग प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर के लिए किया जाता है इसका इस्तेमाल कम्प्युटर मे तो होता है उसके अलावा मशीन को प्रोग्राम करने के लिए भी होता है |
There are two types of programming language.. प्रोग्रामिंग लैंगवेज दो तरह की होती है
High level Language
हाई लेवल लैंगवेज जैसे- कोबोल, पासकल, सी, सी प्लस प्लस, डॉट नेट इत्यादि।
Low level or Machine level language (Binary)
लो लेवल या मशीन लेवल लैंगवेज जैसे- बाइनरी, ट्रान्सलेटर के द्वारा हाई लेवल को लो लेवल एवं लो लेवल को हाई लैंगवेज में ट्रान्सलेट किया जा सकता है।
Compiler कम्पाइलर
कम्पाइलर एक यूटिलिटि प्रोग्राम होता है जो सिस्टम सॉफ्टवेयर के अंतर्गत आता है। कम्पाइलर किसी हाई लेवल लैंगवेज को लो लेवल लैंगवेज यानि मशीन लेवल कोड में परिवर्तित कर देता है जिससे यह आसानी से एक्सीक्यूट हो जाती है। एक कम्पाइलर का कार्य किसी प्रोग्राम के कोड को मशीन लेवल कोड में परिवर्तित करने के साथ-साथ उस प्रोग्रम से Error और मिस्टेक्स की भी जाँच करता है।
Interpreter इंटरप्रेटर
इंटरप्रेटर भी कम्पाइलर ही की तरह हाई लेवल लैंग्वेज को लो लेवल लैंग्वेज में परिवर्तित करता है लेकिन यह कम्पाइलर से थोड़ा अलग है और यह किसी प्रोग्राम को लाइन बाई लाइन चेक करता है और वह लाइन सही होने की स्थिति में उसे एक्सीक्यूट होने के लिए भेज देता है और उसके आगे प्रोग्राम कोड में कही गलती होने की स्थिति में सूचित करता है और प्रोग्राम के रनिंग मोड को ब्रेक कर देता है। यह 4GL लैंग्वेज जैसे विजुअल बेसिक इत्यादि में इस्तेमाल होता है।
Assembler असेम्बलर
असेम्बलर भी एक तरह का ट्रांसलेटर है लेकिन इसका उपयोग असेंबली लेवल लेंग्वेज में होता है जो इसके निमोनिक्स और रजिस्टर वेरिएबल को मशीन लेवल कोड में परिवर्तित करता है।
High level Language हाई लेवल लैंग्वेज
हाई लेवल लैंग्वेज प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को कहते हैं जो साधारण अंग्रेजी भाषा में लिखित प्रोग्राम कोड होता है जो किसी यूजर को प्रोग्रामिंग करने एवं समझने में आसान होता है। हाई लेवल लैंग्वेज की जरुरत पड़ी क्योंकि मशीन लेवल कोड कोई भी प्रोग्राम को लिखना या बनाना बहुत कठिन है और तब भी उसमे गलतियों की बहुत संभावना रह जाती है। इन हाई लेवल लैंग्वेज को कम्पाइलर या इंटरप्रेटर की मदद से मशीन लेवल कोड में परिवर्तित कर पाते हैं ताकि यह एक्सीक्यूट हो सके । हाई लेवल लैंग्वेज के उदहारण हैं (c, c++, Visual Basic, FORTRON, Java इत्यादि |
conclusion
Software aur programming language के बारे मे हमने बताने का पूरा प्रयास किया है लोगों मे Share करना न भूलें |
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